Tuesday, August 23, 2016

आयुर्वेद इन हिन्दी

आयुर्वेद का अर्थ है वह ज्ञान जिससे आयुष अथवा जीवन को विस्तार मिलता है. आयुर्वेद वह शास्त्र है जो भारत के समृद्ध औषधीय और चिकित्सीय संपदा का गोचर है. दुर्भाग्यवश हम अपनी ही धरोहर में मिले इस विज्ञान को भूलते जा रहे हैं जिसके प्रयोग से जीवन ना सिर्फ़ रोग मुक्त किया जाता है अपितु अप्रतिम रूप से स्वास्थ्य की ओर संचालित भी  किया जा सकता है.

Monday, June 27, 2016

संतान होगी या नहीं करे पहचान

पुराने जमाने में जब इतना मशीनी अविष्कार नहीं था तब बुजुर्ग लोग या जानकार लोग संतान होगी या नहीं इसकी जानकारी निम्न प्रकार लिया करते थे -
पुरुष और स्त्री के दाहिने हाथ मे साफ़ मिट्टी रख कर उसके अन्दर थोडा दही और पिसी शुद्ध हल्दी रक्खे -यह काम रात को सोने से पहले करना चाहिये-
सुबह अगर दोनो के हाथ में हल्दी का रंग लाल हो गया है तो संतान आने का समय है-
स्त्री के हाथ में लाल है और पुरुष के हाथ में पीली है तो स्त्री के अन्दर कामवासना अधिक है-
पुरुष के हाथ में लाल हो गयी है और स्त्री के हाथ में नही तो स्त्री रति सम्बन्धी कारणों से ठंडी है और संतान पैदा करने में असमर्थ है कुछ समय के लिये रति क्रिया को बंद कर देना चाहिये-

Sunday, June 12, 2016

खून‬ की कमी दूर करने के घरेलू

खून की कमी एक आम समस्या है जो पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक देखी जाती है। जब खून में लाल रक्त कणिकाओं की कमी हो जाती है तो शरीर में हीमोग्लोबिन कम हो जाता है। हीमोग्लोबिन एक तरह का प्रोटीन होता है। यह शरीर में ऑक्सीजन के संचरण का काम करता है। इसकी कमी से एनीमिया नाम का रोग हो जाता है। एनीमिया मुख्य रूप से तीन तरह का होता है।
– खून की कमी से होने वाला एनीमिया।
– हेमोलाइसिस एनीमिया।
– लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में कमी के कारण होने वाला एनीमिया। 
एनीमिया के कारण-
– लौह तत्व की कमी।
– विटामिन बी 12 की कमी।
– फोलिक एसिड की कमी।
– मां के दूध पिलाने के कारण।
– बहुत ज्यादा खून की कमी होने पर।
– पेट में इन्फेक्शन के कारण।
– स्मोकिंग।
– एजिंग
– कुछ दवाइयों के अधिक इस्तेमाल से।
एनीमिया के लक्षण-
1. ज्यादा सुस्ती आना।
2. थकान।
3. अस्वस्थता।
4. सांस लेने में दिक्कत।
5. घबराहट।
6. सर्दी के प्रति ज्यादा संवेदनशील होना।
7. पैरों और हाथों में सूजन।
8. क्रॉनिक हार्ट बर्न।
9. ज्यादा पसीना आना।
10. स्टूल में खून आना।
नुस्खे: शहद- शहद कई बीमारियों में दवा का काम करता है। एनीमिया के रोगियों के लिए भी यह बहुत लाभदायक होता है। 100 ग्राम शहद में 0.42 मि.ग्रा. आयरन होता है। इसीलिए इसके सेवन से खून की कमी दूर हो जाती है।
कैसे लें शहद- एक नींबू के रस को एक गिलास पानी में मिलाएं। इसके बाद एक चम्मच शहद मिलाएं। रोज इस तरह एक गिलास नींबू पानी का सेवन करने से बहुत जल्दी खून बढ़ता है।
पालक- पालक की सब्जी एनीमिया में दवा की तरह काम करती है। इसमें कैल्शियम, विटामिन ए, बी9, विटामिन ई और विटामिन सी, फाइबर और बीटा केरोटीन पाया जाता है। आधा कप उबले पालक में 3.2 मि.ग्रा. आयरन पाया जाता है। यह एक ही बार में किसी महिला के शरीर में 20 प्रतिशत आयरन की पूर्ति करने में सक्षम है।
कैसे खाएं पालक – हरी सब्जियों में पालक डालें। साथ ही, सलाद के रूप में भी इसका सेवन किया जा सकता है। पालक को उबालकर उसका सूप भी बनाया जा सकता है। इसका सूप पीने से बहुत जल्दी खून बढ़ता है।
चुकंदर- चुकंदर को एनीमिया में एक रामबाण दवा माना जाता है। यह लौह तत्व से भरपूर होता है। चुकंदर ब्लड सेल्स को एक्टिव कर देता है। इसीलिए एनीमिया से परेशान लोगों को अपनी डेली डाइट में थोड़ा चुकंदर जरूर शामिल करना चाहिए।
कैसे खाएं चुकंदर- चुकंदर को शिमला मिर्च, गाजर, टमाटर में मिलाकर सब्जी बनाई जा सकती है।
– इसके अलावा चुकंदर को सलाद के रूप में या जूस बनाकर लिया जा सकता है।
पीनट बटर- पीनट बटर प्रोटीन का एक अच्छा सोर्स है। इसीलिए पीनट बटर को अपनी डेली डाइट में शामिल करने की कोशिश करें। रोज पचास ग्राम मूंगफली खाने से भी एनीमिया दूर होता है। दो चम्मच पीनट बटर में 0.6 मि.ग्रा. आयरन पाया जाता है।
कैसे खाएं पनीर बटर- रोज सुबह ब्रेड पर पीनट बटर लगाकर खाएं। इसके बाद संतरे का जूस पीने से शरीर आयरन को बहुत जल्दी अब्जॉर्ब कर लेता है।
– किसी चीज में मिलाकर भी इसका सेवन किया जा सकता है।
टमाटर- टमाटर में भरपूर मात्रा में विटामिन सी और लाइकोपिन पाया जाता है। इसमें मौजूद विटामिन सी आयरन को अब्जॉर्ब करने में मदद करता है। साथ ही, इसमें बीटा केरोटीन और विटामिन ई पाया जाता है। इसीलिए ये शरीर के लिए नेचुरल कंडिशनर का भी काम करता है।
कैसे खाएं टमाटर- टमाटर को सलाद के रूप में खाया जा सकता है।
– इसके अलावा, जूस या सूप बनाकर पीना भी सेहत के लिए अच्छा होता है।
सोयाबीन- सोयाबीन आयरन और विटामिन से भरपूर होता है। इसे खाने से शरीर को लो फैट के साथ ही भरपूर मात्रा में आयरन मिलता है। इसीलिए यह एनीमिया के पेशेन्ट्स के लिए बहुत लाभदायक होता है।
यह भी पढ़े : काम शक्ति बेहतर करना हैं तो दिमाग में रखें ये 8 बातें
कैसे खाएं सोयाबीन- सोयाबीन का उपयोग करने से पहले उन्हें रात में गुनगुने पानी में भिगो दें। फिर धूप में सुखा लें।
– इसे चपाती के आटे के साथ पिसवा कर उपयोग में लाना चाहिए।
– इसके अलावा सोयाबीन को उबालकर भी सेवन किया जा सकता है।
गुड़- एक चम्मच गुड़ में 3.2 मि.ग्रा. आयरन होता है। इसीलिए एनीमिया से ग्रस्त लोगों को रोज 100 ग्राम गुड़ जरूर खाना चाहिए।
कैसे खाएं गुड़- गुड़ के सेवन में यह बात जरूर ध्यान रखना चाहिए कि वह पुराना हो।
– खाने के बाद थोड़ा-सा गुड़ खाने से भी एनीमिया दूर होता है।
साबुत अनाज के ब्रेड- साबुत अनाज ब्रेड की एक स्लाइस से रोजाना शरीर के लिए जरूरी आयरन का 6 प्रतिशत तक मिल जाता है।
कैसे खाएं साबुत अनाज की ब्रेड- रोज नाश्ते में अगर आप साधारण ब्रेड खाते हैं तो उसे साबुत अनाज की ब्रेड से रिप्लेस कर दें।
– आयरन की कमी पूरी करने के लिए रोज कम से कम दो से तीन साबुत अनाज की ब्रेड खाएं।
मेवे- एनीमिया के पेशेन्ट्स को मेवे जरूर खाना चाहिए। मेवों से शरीर में आयरन का लेवल तेजी से बढ़ता है।
कौन से मेवे खाएं- पिस्ता सबसे बेहतरीन ड्राय फ्रूट है, जिससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में आयरन मिलता है।
अखरोट- रोज थोड़ा अखरोट खाना भी एनीमिया के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होता है।
सेब और खजूर- सेब और खजूर, दोनों में ही पर्याप्त मात्रा में आयरन पाया जाता है।
– सेब के अंदर मौजूद विटामिन सी आयरन को अब्जॉर्ब करने में मदद करता है।
– 100 ग्राम सेब में .12 प्रतिशत आयरन पाया जाता है।
– रोज एक सेब और दस खजूर खाने से एनीमिया दूर हो जाता है।

बरगद‬ का यह इस्तेमाल

बरगद का पेड़ आपने देखा ही होगा। इसके फल भी देखे होंगे। क्या आप जानते हैं कि बरगद के ये फल आपके पौरुष शक्ति बढ़ाने में कितना मददगार है। इसके इस्तेमाल से शीघ्र पतन, स्वपनदोष, कमजोरी, प्रमेह, वीर्य का पतलापन और वीर्य के अन्य विकार दूर होते हैं। साथ ही यह काम शक्ति और स्पर्म बढ़ाने वाला होता है जिससे आप अपने विवाहित जीवन में भरपूर आनंद ले सकते हैं। यह इस्तेमाल बेहद सस्ता और चमत्कारिक परिणाम देने वाला है। यह इस्तेमाल स्पर्म की बीमारी और कमजोरी से ग्रस्त रोगियों के लिए अच्छे से अच्छे नुस्खों से कहीं अच्छा है।

**जीरा के सेवन**

आज के समय में कोई नहीं चाहता है कि वह ‪#‎मोटापा‬ से ग्रस्त हो या फिर उसकी तोंद निकली हुई हो। आज के दौड़ में हम इतना बिजी हो गए है कि खुद के लिए समय नहीं निकाल पाते है। जिसके कारण मोटापा जैसी समस्या होती है। जिसके कारण आज हर दूसरा व्यक्ति इस समस्या से ग्रसित है।
जीरा से भगायें #मोटापा 👇👇👇हमारे घरों में और हमारे किचन में Health or Weight loss के लिए रोजमर्रा के प्रयोग में आने वाले मसालों में कई रोगों के इलाज छुपे हैं , ऐसा ही एक जरूरी और हर रेसिपी में प्रयुक्त होने वाला मसाला है जीरा जिसके गुण हमें आश्चर्य में डाल देतें हैं। फिलहाल हम बात करें मोटापा कम करने की तो मोटापा कम करना एक समस्य़ा बनता जा रहा है। जिसके कारण आपको कई समस्याओं का सामना करना पडता है। इसके लिए आप घंटो जिम में पसीना बहाते है। या फिर डाइटिंग करना शुरु कर देते है। लेकिन अगर आप कम मेहनत करके मोटापा घटाना चाहते है तो जीरा का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। जानिए इसके बारें में।
कम होता है वजन
जीरा एक ऐसा मसाला है जो खाने में बेहतरीन स्वाद और खुशबू देता है। इसकी उपयोगिता केवल खाने तक ही सीमित नहीं बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। कई रोगों में दवा के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
जीरे में मैंगनीज, लौह तत्व, मैग्नीशियम, कैल्शियम, जिंक और फॅास्फोरस भरपूर मात्रा मे होता है। इसे मेक्सीको, इंडिया और नार्थ अमेरिका में बहुत उपयोग किया जाता है। इसकी सबसे ज्यादा खासियत यह है कि यह वजन तेजी से कम करता है। इस लेख में विस्तार से जानिये कैसे जीरे के सेवन से कम होता है वजन।
एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि जीरा पाउडर, के सेवन से शरीर मे वसा का अवशोषण कम होता है जिससे स्वाभाविक रूप से वजन कम करनें में मदद मिलती है।
ऐसे करें सेवन
एक बड़ा चम्मच जीरा एक गिलास पानी मे भिगो कर रात भर के लिए रख दें। सुबह इसे उबाल लें और गर्म गर्म चाय की तरह पिये। बचा हुआ जीरा भी चबा लें। इसके रोजाना सेवन से शरीर के किसी भी कोने से अनावश्यक चर्बी शरीर से बाहर निकल जाती है। इस बात का विशेष ध्यान रखे की इस पाउडर को लेने के 1 घंटो तक कुछ ना खाएं।

अनाप-शनाप ‪‎दवा‬ खाने से, ‪महिलाएं‬ रहे सावधान!!

दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव के प्रति महिलाएं पुरुषों से अधिक संवेदनशील क्यों होती हैं, इसका जवाब वैज्ञानिकों को मिल गया है। इसका कारण कोशिकाओं की संवेदनशीलता होती है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है। महिलाएं खासकर जो रजोनिवृत्त हो चुकी हैं, की यकृत की कोशिकाएं दवाओं के दुष्प्रभावों के प्रति पुरुषों से ज्यादा संवेदनशील होती हैं।
अध्ययन के मुताबिक, यह पहले से ही ज्ञात है कि यकृत को नुकसान पहुंचाने वाली दवाएं पुरुषों से अधिक महिलाओं को प्रभावित करती हैं, लेकिन पहली बार यह बात सामने आई है कि यह प्रभाव कोशिकीय स्तर पर होता है।
अध्ययन में कहा गया है, “हमारे निष्कर्ष में यह बात सामने आई है कि महिलाओं की कोशिकाएं कुछ दवाओं के दुष्प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं।”
अध्ययन के लिए यूरोपियन कमीशन ज्वाइंट रिसर्च सेंटर ने महिला व पुरुषों के शरीर से लिए गए यकृत कोशिकाओं पर पांच दवाओं (डाइक्लोफेनेक, क्लोरप्रोमाजीन, एसीटामिनोफेन, वेरापामिल तथा ओमेप्राजोल) का अध्ययन किया। इन दवाओं का यकृत पर दुष्प्रभाव पहले से ही ज्ञात है।
अध्ययन के दौरान महिलाओं (रजोनिवृत्त) के यकृत की कोशिकाएं ज्यादा संवेदनशील पाई गईं। यह अध्ययन पत्रिका ‘पीएलओएस ओएनई’ में प्रकाशित हुआ है।

Saturday, June 11, 2016

मिडलाइफ ‪#‎क्राइसिस‬ 👍 अनुभव करने की कुछ ख़ास बातें

अगर आप उम्र के तीसरे दशक को पूरा करने जा रहे हैं तो यह जानकारी खास आपके लिए ही है। बहुत संभव है कि आप मिडलाइफ क्राइसिस के दौर से गुजर रहे हों या गुजरने वाले हों। आम तौर पर पुरुषों में यह फेज 3 से 10 साल तक रहती है और औरतों में 5 से 10 साल तक। 30 से 40 साल के बीच कभी भी आप इस दौर से गुजर सकते हैं। मिडलाइफ क्राइसिस के तहत आप अचानक ही अपनी लाइफ से बोर होना शुरू हो जाते हैं। निराशा आपको घेरने लगती है। आप ‘क्या पाया-क्या खोया’ का हिसाब लगाने लगते हैं। कई बार पूरा जीवन मिथ्या लगने लगता है और कई बार आप जीवन को नए सिरे से फिर से जीने की ख्वाहिश पाल बैठते हैं।

How to effect milk on health?

गर्मियों के दिनों में दूध से बने पदार्थों का सेवन करना शरीर के लिए बहुत फायदेमद माना जाता है जैसे कि दही, पनीर व छाछ। यह सब चीजें ज्यादा गर्मी में हमें ठंडक देती हैं।
अाज हम अापको गर्मियों में हर रोज छाछ का सेवन करने के बारे में बताएगें। इसे पीने से न केवल अापको ठंडक मिलती है बल्कि हमारे चेहरे में चमक भी अाती है। खास बात तो यह है कि अगर अाप खाना खाने के बाद छाछ पीएगे तो इसे जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलती है। इसलिए अाज हम अापको गर्मियों में हर रोज छाछ पीने से होने वाले फायदों के बारे में बताएगें। तो अाइए जानते हैं…

– एसिडिटी

अगर अाप को गर्मी ज्यादा होने के कारण दस्त हो गए है तो अाप इसे दूर करने के लिए बरगद की जटा को लेकर पीस लें और इसे छानकर छाछ में मिलाकर सेवन करें। हर रोज छाछ में मिश्री, काली मिर्च और सेंधा नमक मिला कर पीने से एसिडिटी का समस्या दूर हो जाती है।

– रोग प्रतिरोधकता को बढाएं

हर रोज छाछ का सेवन करने से अाप तुरंत ऊर्जावान हो जाते हैं क्योंकि इसमें हेल्दी बैक्टीरिया और कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं। यह लैक्टोस शरीर में आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।

– कब्ज

अगर अापको कब्ज की शिकायत ज्यादा रहती है तो अाप छाछ में अजवाइन मिलाकर इसका सेवन करें। इसे कब्ज की समस्या दूर हो जाती है। गर्मियों में अाप पेट की सफाई करने के लिए छाछ में पुदीना मिलाकर पीएं।

– खाना न पचने की शिकायत

छाछ में भुने जीरे का चूर्ण, काली मिर्च का चूर्ण और सेंधा नमक का चूर्ण मिला कर पीने से पाचक अग्रि तेज होती है जिससे खाना अच्छे से पंच जाता है।

– विटामिन

ज्यादा धूप में घुमने के कारण हमारे शरीर के जरूरी पोषण तत्व खो जाते हैं। इन तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए बटर मिल्क वाले पदार्थों का सेवन जरूर करें क्योंकि इन्में विटामिन सी, ए, ई, के और बी पाए जाते हैं।

– मिनरल्स

अगर अाप डाइटिग कर रहें हैं तो हर रोज एक गिलास मट्ठा जरूर पीएं क्योंकि इस में पोषक तत्व जैसे लोहा, जस्ता, फास्फोरस और पोटेशियम पाएं जाते है जो हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं।

How to effect milk on health?

गर्मियों के दिनों में दूध से बने पदार्थों का सेवन करना शरीर के लिए बहुत फायदेमद माना जाता है जैसे कि दही, पनीर व छाछ। यह सब चीजें ज्यादा गर्मी में हमें ठंडक देती हैं।
अाज हम अापको गर्मियों में हर रोज छाछ का सेवन करने के बारे में बताएगें। इसे पीने से न केवल अापको ठंडक मिलती है बल्कि हमारे चेहरे में चमक भी अाती है। खास बात तो यह है कि अगर अाप खाना खाने के बाद छाछ पीएगे तो इसे जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलती है। इसलिए अाज हम अापको गर्मियों में हर रोज छाछ पीने से होने वाले फायदों के बारे में बताएगें। तो अाइए जानते हैं…

– एसिडिटी

अगर अाप को गर्मी ज्यादा होने के कारण दस्त हो गए है तो अाप इसे दूर करने के लिए बरगद की जटा को लेकर पीस लें और इसे छानकर छाछ में मिलाकर सेवन करें। हर रोज छाछ में मिश्री, काली मिर्च और सेंधा नमक मिला कर पीने से एसिडिटी का समस्या दूर हो जाती है।

– रोग प्रतिरोधकता को बढाएं

हर रोज छाछ का सेवन करने से अाप तुरंत ऊर्जावान हो जाते हैं क्योंकि इसमें हेल्दी बैक्टीरिया और कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं। यह लैक्टोस शरीर में आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।

– कब्ज

अगर अापको कब्ज की शिकायत ज्यादा रहती है तो अाप छाछ में अजवाइन मिलाकर इसका सेवन करें। इसे कब्ज की समस्या दूर हो जाती है। गर्मियों में अाप पेट की सफाई करने के लिए छाछ में पुदीना मिलाकर पीएं।

– खाना न पचने की शिकायत

छाछ में भुने जीरे का चूर्ण, काली मिर्च का चूर्ण और सेंधा नमक का चूर्ण मिला कर पीने से पाचक अग्रि तेज होती है जिससे खाना अच्छे से पंच जाता है।

– विटामिन

ज्यादा धूप में घुमने के कारण हमारे शरीर के जरूरी पोषण तत्व खो जाते हैं। इन तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए बटर मिल्क वाले पदार्थों का सेवन जरूर करें क्योंकि इन्में विटामिन सी, ए, ई, के और बी पाए जाते हैं।

– मिनरल्स

अगर अाप डाइटिग कर रहें हैं तो हर रोज एक गिलास मट्ठा जरूर पीएं क्योंकि इस में पोषक तत्व जैसे लोहा, जस्ता, फास्फोरस और पोटेशियम पाएं जाते है जो हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं।

Friday, June 10, 2016

****Heart solution****


शंख & Health

शंख की आकृति और पृथ्वी की संरचना समान है। नासा के अनुसार शंख बजाने से खगोलीय ऊर्जा का उत्सर्जन होता है, जो जीवाणु का नाश कर लोगों में ऊर्जा व शक्ति का संचार करता है।
शंख 100% कैल्शियम से निर्मित होता है। इसमें रात को पानी भर के पीने से कैल्शियम की पूर्ति होती है।
* शंख बजाने से योग की 3 क्रियाएं एकसाथ होती हैं- कुम्भक, रेचक, प्राणायाम।
* शंख बजाने से हृदयाघात, रक्तचाप की अनियमितता, दमा, मंदाग्नि में लाभ होता है
* शंख बजाने से फेफड़े पुष्ट होते हैं।
* शंख में पानी रखकर पीने से मनोरोगी को लाभ होता है, उत्तेजना कम होती है।
* शंख की ध्वनि से दिमाग व स्नायु तंत्र सक्रिय रहता है की आकृति और पृथ्वी की संरचना समान है। नासा के अनुसार शंख बजाने से खगोलीय ऊर्जा का उत्सर्जन होता है, जो जीवाणु का नाश कर लोगों में ऊर्जा व शक्ति का संचार करता है।
शंख 100% कैल्शियम से निर्मित होता है। इसमें रात को पानी भर के पीने से कैल्शियम की पूर्ति होती है।
* शंख बजाने से योग की 3 क्रियाएं एकसाथ होती हैं- कुम्भक, रेचक, प्राणायाम।
* शंख बजाने से हृदयाघात, रक्तचाप की अनियमितता, दमा, मंदाग्नि में लाभ होता है
* शंख बजाने से फेफड़े पुष्ट होते हैं।
* शंख में पानी रखकर पीने से मनोरोगी को लाभ होता है, उत्तेजना कम होती है।
* शंख की ध्वनि से दिमाग व स्नायु तंत्र सक्रिय रहता है

Thursday, June 9, 2016

बालों के लिए बनाइये बहुत ही प्रभावी आयुर्वेदिक तेल

आज हम आपके पतले – कमजोर पड़ चुके बालों के लिए एक
विशेष आयुर्वेदिक तेल बनाने की विधि बताएँगे जो
बेजान बालों को घने – काले केशों की घटा में बदल
देगा। घर पर बने इस तेल से आपके बालो को कालापन,
मजबूती, खुश्की, रुसी , बाल झडना आदी से निजात
मिलेगी, थोड़ी सी मेहनत से ये आपको बालो की
होने वाली सभी बीमारियों से निजात दिला
देगा ।
सामग्री :-
====
लौह भस्म – 10 ग्राम
ब्राहमी – 10 ग्राम
लाल चन्दन – 10 ग्राम
आंवला चूर्ण – 25 ग्राम
भ्रंगराज चूर्ण – 25 ग्राम
काफ़ी चूर्ण – 25 ग्राम
मेंहदी के पत्ते – 20 ग्राम ,
जैतून का तैल- 50 ग्राम ,
अरण्डी का तैल – 50 ग्राम ,
नारियल का तैल – 500 ग्राम,
* अब आप तैलो को छॊड कर सभी चूर्ण का पेस्ट बना लें
रात में पेस्ट बना कर रख दें. सुबह लोहे की कडाही में
तीनों तेल डाल कर यह पेस्ट डाल दें अब आप इस में -250
ग्राम पानी डाल दें.अब धीमी आंच पर पकाएं कि
पानी जल जाये और सिर्फ़ तेल बचे उसके बाद भी लगभग
दस मिनट और पकाएं फ़िर ठण्डा होने पर सूती कपडॆ की
चार तह बना कर उस में से निचोड कर छान लें छने हुए तेल
को एक बार फ़िर दो तह के सूती कपडॆ से छानकर रख लें
सप्ताह में कम से कम दो बार इस तेल से रात को हाथों
की अंगुलियों से बालों की जडॊ में अच्छी तरह से
लगायें जिस से तेल त्वचा के अन्दर समा जाए सारी
रात तेल लगा रह ने दें सुबह साफ़ पानी से बालों को
धो लें बाजार के शैम्पू का प्रयोग न करें.

**हरा धनिया**

अधिकतर घरों में तो रोजाना हरे धनिया का इस्तेमाल होता है। धनिये
के सभी भाग खाद्य साम्रगी के लिए उपयुक्त
रहे हैं, लेकिन
ताज़ा धनिये के पत्ते और सूखे बीजों का सबसे अधिक
खाना पकाने में
इस्तेमाल किया जाता है। धनिया भारतीय रसोई में प्रयोग
किए जाने
वाली सुंगंधित हरी पत्तीयाँ हैं।
****************
आयुर्वेद के अनुसार इसके उपयोग से शरीर को बहुत
फायदे होते हैं -
हरा धनिया वातनाशक होने के साथ-साथ
पाचनशक्ति भी बढ़ाता है।
हरे धनिया के साथ ख़ास-तौर पर पुदीना मिलाकर
इसकी चटनी बनाई
जाती है। जो हमारे शरीर को आराम
देती है। इसको खाने से नींद
भी अच्छी आती है।
शुद्ध शाकाहार में हरे धनिए का उपयोग बहुतायत में किया जाता है।
ताज़ा हरा धनिया व हरी मिर्च
की चटनी बहुत प्रसिद्ध है।
इसका उपयोग मेहमान नवाजी में ख़ासतौर पर
किया जाता है।
गुजराती लोग ख़ासतौर पर हरे धनिए के साथ लहसुन
और गुड़ मिलाकर
इस चटनी का उपयोग करते हैं।
गर्मी के दिनों में ख़ास कर हरा धनिया और
कैरी का उपयोग कर
चटनी बनाई जाती है। जो दाल-
बाटी या सादे भोजन के साथ भी बनाई
जाती है।
घर पर पानीपूरी बनाने-खाने वाले लोग
भी हरा धनिया और
कैरी का उपयोग कर घर में ही मसाले
वाला पानी तैयार करते हैं,
जो बहुत स्वादिष्ट होने के साथ-साथ
पाचनशक्ति को ठीक करने
का काम करता है।
हरे धनिए का दही के रायते में भी भरपूर
उपयोग किया जाता है।
मुँह के छालों या गले के रोगों में हरे धनिया के रस से
कुल्ला करना चाहिए।
आँखों की सूजन व लाली में धनिया को कूटकर
पानी में उबाल कर, उस
पानी को कपड़े से छानकर आँखों में टपकाने से दर्द कम
होता है।
धनिया पत्ती का रस नकसीर फूटने पर नाक
में टपकाने से खून
आना बंद हो जाता है।

हाई ब्लड प्रेशर (Hypertention)

1) नमक ब्लड प्रेशर बढाने वाला प्रमुख कारक है। इसलिए यहबात सबसे महत्वपूर्ण है कि हाई बी पीवालों को नमक का प्रयोग कम कर देना चाहिए।
*2) उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण होता है रक्त का गाढाहोना। रक्त गाढा होने से उसका प्रवाह धीमा हो जाताहै। इससे धमनियों और शिराओं में दवाब बढ जाता है लहसुनब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार घरेलू उपायहै। यह रक्त का थक्का नहीं जमने देतीहै। धमनी की कठोरता में लाभदायक है।रक्त में ज्यादा कोलेस्ट्ररोल होने की स्थिति का समाधानकरती है।
3) एक बडा चम्मच आंवले का रस और इतना हीशहद मिलाकर सुबह-शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है।
*4) जब ब्लड प्रेशर बढा हुआ हो तो आधा गिलासमामूली गर्म पानी में कालीमिर्च पाउडर एक चम्मच घोलकर 2-2 घंटे के फ़ासले सेपीते रहें। ब्लड प्रेशर सही करने काबढिया उपचार है।
5) तरबूज के बीज की गिरि तथा खसखसअलग-अलग पीसकर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें।एक चम्मच मात्रा में प्रतिदिन खाली पेटपानी के साथ लें।
*6) बढे हुए ब्लड प्रेशर को जल्दी कंट्रोल करने केलिये आधा गिलास पानी में आधा नींबूनिचोड़कर 2-2 घंटे के अंतर से पीते रहें।हितकारी उपचार है।
7) पांच तुलसी के पत्ते तथा दो नीमकी पत्तियों को पीसकर 20 ग्रामपानी में घोलकर खाली पेट सुबह पिएं। 15दिन में लाभ नजर आने लगेगा।
*8) हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों के लिएपपीता भी बहुत लाभ करता है, इसेप्रतिदिन खाली पेट चबा-चबाकर खाएं।
9) नंगे पैर हरी घास पर 10-15 मिनट चलें। रोजाना
चलने से ब्लड प्रेशर नार्मल हो जाता है।
*10) सौंफ़, जीरा, शक्कर तीनों बराबर मात्रामें लेकर पाउडर बना लें। एक गिलास पानी में एकचम्मच मिश्रण घोलकर सुबह-शाम पीते रहें।
11) पालक और गाजर का रस मिलाकर एक गिलास रस सुबह-शामपीयें, लाभ होगा।
*12) करेला और सहजन की फ़ली उच्चरक्त चाप-रोगी के लिये परम हितकारी हैं।
13) गेहूं व चने के आटे को बराबर मात्रा में लेकर बनाई गई
रोटी खूब चबा-चबाकर खाएं, आटे से चोकर न निकालें।
*14) ब्राउन चावल उपयोग में लाए। इसमें नमक,कोलेस्टरोल औरचर्बी नाम मात्र की होती है।यह उच्च रक्त चाप रोगी के लिये बहुतही लाभदायक भोजन है।
15) प्याज और लहसुन की तरह अदरकभी काफी फायदेमंद होता है। बुराकोलेस्ट्रोल धमनियों की दीवारों पर प्लेकयानी कि कैल्शियम युक्त मैल पैदा करता हैजिससे रक्त के प्रवाह में अवरोध खड़ा हो जाता है और
नतीजा उच्च रक्तचाप के रूप में सामने आता है।अदरक में बहुत हीं ताकतवरएंटीओक्सीडेट्स होते हैं जो कि बुरेकोलेस्ट्रोल को नीचे लाने में काफी असरदार
होते हैं। अदरक से आपके रक्तसंचार में भी सुधारहोता है, धमनियों के आसपास की मांसपेशियों कोभी आराम मिलता है जिससे कि उच्च रक्तचापनीचे आ जाता है।
*16) तीन ग्राम मेथीदाना पावडर सुबह-शाम पानी के साथ लें। इसे पंद्रह दिनों तक लेने सेलाभ मालूम होता है।

Tuesday, June 7, 2016

खांसी है... तो इसे आजमायें !

10 ग्राम फिटकरी को तवा गर्म करके उस पर रख दें।
थोड़ी देर बुदबुदाहट के बाद वह
फिटकरी ठंडी होकर
बैठ जावेगी । फिर
उसी फिटकरी को चाकू
जैसी किसी नोकदार वस्तु से उस गर्म तवे
पर पलट दें।
थोड़ी देर में वह फिटकरी बुदबदाते
दिखेगी व बैठ
जावेगी । यह शोधित
फिटकरी कहलाती है । इस
फिटकरी को बेलन की मदद से बिल्कुल
बारीक पीस
लें और इसमें 100 ग्राम शक्कर का बुरा मिलाकर इसे
एकजान करके इसकी बराबर वजन की 15
पुडिय़ा बना लें। अगर खांसी कफ
वाली हो तो इस
पुडिय़ा को सुबह-शाम पानी से लें,
सुखी हो तो गुनगुने
दूध से इसका सेवन करें।

Monday, June 6, 2016

** खूबसूरत होंठ**

होंठों को खूबसूरत बनाने के लिए आप
क्या नहीं करतीं। लिपस्टिक, लिप बाम,
माश्चराइजर और ना जाने क्या-क्या। लेकिन, होंठों पर लगाये जाने वाले
कई उत्पाद वास्तव में उन्हें खूबसूरत बनाने के बजाय लंबे समय में
उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है। अगर आप भी अपने
होठों के फटने या कालेपन से परेशान हैं तो इस स्लाइड शो में बताए
गए प्राकृतिक उपायों को अपनाकर अपनी समस्या से
छुटकारा पा सकते हैं।
कोको बटर
दो बड़े चम्मच कोको बटर, आधा छोटा चम्मच मधु वैक्स
लीजिए। उबलते पानी पर एक बर्तन में
वैक्स डालकर पिघला दीजिए। इसमें कोको बटर मिलाएं। अब
इस मिश्रण को ठंडा होने के बाद ब्रश की मदद से
होंठों पर लगाइए। इससे होंठ मुलायम होंगे और उनका कालापन दूर
हो जाएगा।
दूध की मलाई
होंठों से रूखापन हटाने के लिए
थोडी सी मलाई में चुटकी भर
हल्दी मिलाकर नियमित रूप से धीरे-
धीरे होठों पर मालिश करें। आप देखेंगे कि इस घरेलू उपाय
से कुछ ही दिनों में आपके होठ मुलायम और
गुलाबी होने लगेंगे
गुलाब की पंखुडियां
होंठों के कालेपन को दूर करने के लिए गुलाब
की पंखुडि़यां बहुत ही फायदेमंद
होती है। इसके नियमित इस्तेमाल से होठों का रंग
हल्का गुलाबी और चमकदार हो जाएगा इसके लिए गुलाब
की पंखुडियों को पीसकर उसमें
थोड़ी सी नींबू
क्या आप जानते है होंठों को कालापन नींबू से
भी दूर हो सकता है। इसके लिए आप निचोड़े हुए
नींबू को अपने होठों पर सुबह और शाम को रगड़ें।
केसर
होंठों का कालापन दूर करने के लिये कच्चे दूध में केसर
पीसकर होंठों पर मलें। इसके इस्तेमाल से
होंठों का कालापन तो दूर होता ही है साथ
ही वे पहले से अधिक आकर्षक बनने लगते हैं।
शहद
शहद के इस्तेमाल से कुछ ही दिनों में आपके होंठ
चमकदार और मुलायम हो जाते हैं। इसके लिए थोड़ा-सा शहद
अपनी उंगली में लेकर धीरे-
धीरे अपने होंठों पर मलें या फिर शहद में
थोड़ा सा सुहागा मिलाकर अपने होंठों पर लगाएं। ऐसा एक दिन में दो बार
करें फिर देखें इसका असर।
जैतून का तेल
यदि होंठ पूरी तरह से फट चुके हैं और उनमें कालापन
भी आ रहा है तो जैतून का तेल यानी ऑलिव
ऑयल और वैसलीन मिलाकर दिन में तीन
या चार बार फटे होंठों पर लगाने से फायदा होता है। इनका लेप
होंठों पर 4-5 दिन लगातार लगाने से होठों की दरारें
भी भरने लगती हैं और होंठ हल्के
गुलाबी भी होने लगते हैं।
चुकंदर
चुकंदर को ब्लड बनाने वाली मशीन
भी कहते है। चुकंदर होंठ के लिए
भी उतना ही फायदेमंद होता है। चुकंदर
को काटकर उसके टुकड़े को होंठों पर लगाने से होठ
गुलाबी व चमकदार बनते हैं। —

Sunday, June 5, 2016

करेला के फायदा

१) कड़वे करेले में बीमारियो से
लड़ने की उम्दा शक्ति है| प्रति
100 ग्राम करेले में लगभग 92 ग्राम
नमी होती है। साथ ही इसमें
लगभग 4 ग्राम कार्बोहाइडेट, 15
ग्राम प्रोटीन, 20 मिलीग्राम
कैल्शियम, 70 मिलीग्राम
फस्फोरस, 18 मिलीग्राम, आयरन
तथा बहुत थोड़ी मात्रा में वसा
भी होती है। इसमें विटामिन ए
तथा सी भी
होती है जिनकी मात्रा प्रति
100 ग्राम में क्रमश: 126
मिलीग्राम तथा 88
मिलीग्राम होती है।
२) करेला मधुमेह में रामबाण
औषधि का कार्य करता है,
छाया में सुखाए
हुए करेला का एक चम्मच पावडर
प्रतिदिन सेवन करने से
डायबिटीज में चमत्कारिक
लाभ मिलता है क्योंकि करेला
पेंक्रियाज को उत्तेजित कर
इंसुलिन के स्रावण को बढ़ाता
है।
३) विटामिन ए की उपस्थिति
के कारण इसकी सब्जी खाने से
रतौंधी रोग नहीं होता है।
जोड़ों के दर्द में करेले की सब्जी
का सेवन व जोड़ों पर करेले के
पत्तों का रस लगाने से आराम
मिलता है।
४) करेले के तीन बीज और तीन
कालीमिर्च को पत्थर पर पानी
के साथ घिसकर बच्चों को
पिलाने से उल्टी-दस्त बंद होते हैं।
करेले के पत्तों को सेंककर सेंधा
नमक मिलाकर खाने से अम्लपित्त
के रोगियों को भोजन से पहले
होने वाली उल्टी बंद होती है।
५) करेला खाने वाले को कफ की
शिकायत नहीं होने पाती। इसमें
प्रोटीन तो भरपूर पाया जाता
है। इसके अलावा करेले में
कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट और
विटामिन पाए जाते हैं। करेले
की छोटी और बड़ी दो प्रकार
की प्रजाति होती है, जिससे
इनके कसैलेपन में भी अंतर आता है।
६) करेले का रस और 1 नींबू का रस
मिलाकर सुबह सेवन करने से शरीर
की चर्बी कम होती है और
मोटापा कम होता है।
पथरी रोगी को 2 करेले का रस
प्रतिदिन पीना चाहिए और
इसकी सब्जी खाना चाहिए।
इससे पथरी गलकर पेशाब के साथ
बाहर निकल जाती है।
७) लकवे के रोगियों को करेला
जबरदस्त फायदा पहुंचाता है।
दस्त और उल्टी की शिकायत
की सूरत में करेले का रस
निकालकर उसमें काला नमक और
थोड़ा पानी मिलाकर पीने से
फायदा देखा गया है।

Saturday, June 4, 2016

"मौत को छोड कर हर मर्ज की दवाई है कलौंजी"

कलयुग में धरती पर संजीवनी है कलौंजी, अनगिनत रोगों को चुटकियों में ठीक करती है।
[A] कैसे करें इसका सेवन?
कलौंजी के बीजों का सीधा सेवन किया जा सकता है।
एक छोटा चम्मच कलौंजी को शहद में मिश्रित करके इसका सेवन करें।
पानी में कलौंजी उबालकर छान लें और इसे पिएँ।
दूध में कलौंजी उबालें। ठंडा होने दें फिर इस मिश्रण को पिएँ।
कलौंजी को ग्राइंड करें व पानी तथा दूध के साथ इसका सेवन करें।
कलौंजी को ब्रैड, पनीर तथा पेस्ट्रियों पर छिड़क कर इसका सेवन करें।
[B] ये किन-किन रोगों में सहायक है?
1/. टाइप-2 डायबिटीज:
प्रतिदिन 2 ग्राम कलौंजी के सेवन के परिणामस्वरूप तेज हो रहा ग्लूकोज कम होता है। इंसुलिन रैजिस्टैंस घटती है,बीटा सैल की कार्यप्रणाली में वृद्धि होती है तथा ग्लाइकोसिलेटिड हीमोग्लोबिन में कमी आती है।
2/. मिर्गी:
2007 में हुए एक अध्ययन के अनुसार मिर्गी से पीड़ित बच्चों में कलौंजी के सत्व का सेवन दौरे को कम करता है।
3/. उच्च रक्तचाप:
100 या 200 मि.ग्रा. कलौंजी के सत्व के दिन में दो बार सेवन से हाइपरटैंशन के मरीजों में ब्लड प्रैशर कम होता है।
रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) में एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीने से रक्तचाप सामान्य बना रहता है। तथा 28 मि.ली. जैतुन का तेल और एक चम्मच
कलौंजी का तेल मिलाकर पूर शरीर पर मालिश आधे घंटे तक धूप में रहने से रक्तचाप में लाभ मिलता है। यह क्रिया हर तीसरे दिन एक महीने तक करना चाहिए।
4/. गंजापन:
जली हुई कलौंजी को हेयर ऑइल में मिलाकर नियमित रूप से सिर पर मालिश करने से गंजापन दूर होकर बाल उग आते हैं।
5/. त्वचा के विकार:
कलौंजी के चूर्ण को नारियल के तेल में मिलाकर त्वचा पर मालिश करने से त्वचा के विकार नष्ट होते हैं।
6/. लकवा:
कलौंजी का तेल एक चौथाई चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ कुछ महीने तक प्रतिदिन पीने और रोगग्रस्त अंगों पर कलौंजी के तेल से मालिश करने से लकवा रोग ठीक होता है।
7/. कान की सूजन, बहरापन:
कलौंजी का तेल कान में डालने से कान की सूजन दूर होती है। इससे बहरापन में भी लाभ होता है।
8/. सर्दी-जुकाम:
कलौंजी के बीजों को सेंककर और कपड़े में लपेटकर सूंघने से और कलौंजी का तेल और जैतून का तेल बराबर की मात्रा में नाक में टपकाने से सर्दी-जुकाम समाप्त होता है। आधा कप पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल व चौथाई चम्मच जैतून का तेल मिलाकर इतना उबालें कि पानी खत्म हो जाए और केवल तेल ही रह जाए। इसके बाद इसे छानकर 2 बूंद नाक में डालें। इससे सर्दी-जुकाम
ठीक होता है। यह पुराने जुकाम भी लाभकारी होता है।
9/. कलौंजी को पानी में उबालकर इसका सत्व पीने से अस्थमा में काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है।
10/. छींके:
कलौंजी और सूखे चने को एक साथ अच्छी तरह मसलकर किसी कपड़े में बांधकर सूंघने से छींके आनी बंद हो जाती है।
11/. पेट के कीडे़:
दस ग्राम कलौंजी को पीसकर 3 चम्मच शहद के साथ रात सोते समय कुछ दिन तक नियमित रूप से सेवन करने से पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं।
12/. प्रसव की पीड़ा:
कलौंजी का काढ़ा बनाकर सेवन करने से प्रसव की पीड़ा दूर होती है।
13/. पोलियों का रोग:
आधे कप गर्म पानी में एक चम्मच शहद व आधे चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय लें। इससे पोलियों का रोग ठीक होता है।
14/. मुँहासे:
सिरके में कलौंजी को पीसकर रात को सोते समय पूरे चेहरे पर लगाएं और सुबह पानी से चेहरे को साफ करने से मुंहासे कुछ दिनों में ही ठीक हो जाते हैं।
15/. स्फूर्ति:
स्फूर्ति (रीवायटल) के लिए नांरगी के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सेवन करने से आलस्य और थकान दूर होती है।
16/. गठिया:
कलौंजी को रीठा के पत्तों के साथ काढ़ा बनाकर पीने से गठिया रोग समाप्त होता है।
17/. जोड़ों का दर्द:
एक चम्मच सिरका, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय पीने से जोड़ों का दर्द ठीक होता है।
18/. आँखों के सभी रोग:
आँखों की लाली, मोतियाबिन्द, आँखों से पानी का आना, आँखों की रोशनी कम होना आदि। इस तरह के आँखों के रोगों में एक कप गाजर का रस, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में 2बार सेवन करें। इससे आँखों के सभी रोग ठीक होते हैं। आँखों के चारों और तथा पलकों पर कलौंजी का तेल रात को सोते समय लगाएं। इससे आँखों के रोग समाप्त होते हैं। रोगी को अचार, बैंगन, अंडा व मछली नहीं खाना चाहिए।
19/. स्नायुविक व मानसिक तनाव:
एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल डालकर रात को सोते समय पीने से स्नायुविक व मानसिक तनाव दूर होता है।
20/. गांठ:
कलौंजी के तेल को गांठो पर लगाने और एक चम्मच कलौंजी का तेल गर्म दूध में डालकर पीने से गांठ नष्ट होती है।
21/. मलेरिया का बुखार:
पिसी हुई कलौंजी आधा चम्मच और एक चम्मच शहद मिलाकर चाटने से मलेरिया का बुखार ठीक होता है।
22/. स्वप्नदोष:
यदि रात को नींद में वीर्य अपने आप निकल जाता हो तो एक कप सेब के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें। इससे स्वप्नदोष दूर होता है। प्रतिदिन कलौंजी के तेल की चार बूंद एक चम्मच नारियल तेल में मिलाकर सोते समय सिर में लगाने स्वप्न दोष का रोग ठीक होता है। उपचार करते समय नींबू का सेवन न करें।
23/. कब्ज:
चीनी 5 ग्राम, सोनामुखी 4 ग्राम, 1 गिलास हल्का गर्म दूध और आधा चम्मच कलौंजी का तेल। इन सभी को एक साथ मिलाकर रात को सोते समय पीने से कब्ज नष्ट होती है।
24/. खून की कमी:
एक कप पानी में 50 ग्राम हरा पुदीना उबाल लें और इस पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट एवं रात को सोते समय सेवन करें। इससे 21 दिनों में खून की कमी दूर होती है। रोगी को खाने में खट्टी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए।
25/. पेट दर्द:
किसी भी कारण से पेट दर्द हो एक गिलास नींबू पानी में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीएं। उपचार करते समय रोगी को बेसन की चीजे नहीं खानी चाहिए। या चुटकी भर नमक और आधे चम्मच कलौंजी के तेल को आधा गिलास हल्का गर्म
पानी मिलाकर पीने से पेट का दर्द ठीक होता है। या फिर 1 गिलास मौसमी के रस में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीने से पेट का दर्द समाप्त होता है।
26/. सिर दर्द:
कलौंजी के तेल को ललाट से कानों तक अच्छी तरह मलनें और आधा चम्मच कलौंजी के तेल को 1 चम्मच शहद में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से सिर दर्द ठीक होता है। कलौंजी खाने के साथ सिर पर कलौंजी का तेल और जैतून का तेल मिलाकर मालिश करें। इससे सिर दर्द में आराम मिलता है और सिर से सम्बंधित अन्य रोगों भी दूर होते हैं।
कलौंजी के बीजों को गर्म करके पीस लें और कपड़े में बांधकर सूंघें। इससे सिर का दर्द दूर होता है।
कलौंजी और काला जीरा बराबर मात्रा में लेकर पानी में पीस लें और माथे पर लेप करें। इससे सर्दी के कारण होने वाला सिर का दर्द दूर होता है।
27/. उल्टी:
आधा चम्मच कलौंजी का तेल और आधा चम्मच अदरक का रस मिलाकर सुबह-शाम पीने से उल्टी बंद होती है।
28/. हार्निया:
तीन चम्मच करेले का रस और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट एवं रात को सोते समय पीने से हार्निया रोग ठीक होता है।
29/. मिर्गी के दौरें:
एक कप गर्म पानी में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से मिर्गी के दौरें ठीक होते हैं। मिर्गी के रोगी को ठंडी चीजे जैसे- अमरूद, केला, सीताफल आदि नहीं देना चाहिए।
30/. पीलिया:
एक कप दूध में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर प्रतिदिन 2 बार सुबह खाली पेट और रात को सोते समय 1 सप्ताह तक लेने से पीलिया रोग समाप्त होता है। पीलिया से पीड़ित रोगी को खाने में मसालेदार व खट्टी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए।
31/. कैंसर का रोग:
एक गिलास अंगूर के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 3 बार पीने से कैंसर का रोग ठीक होता है। इससे आंतों का कैंसर, ब्लड कैंसर व गले का कैंसर आदि में भी लाभ मिलता है। इस रोग में रोगी को औषधि देने के साथ ही एक किलो जौ के आटे में 2 किलो गेहूं का आटा मिलाकर इसकी रोटी, दलिया बनाकर रोगी को देना चाहिए। इस रोग में आलू, अरबी और बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। कैंसर के रोगी को कलौंजी डालकर हलवा बनाकर खाना चाहिए।
32/. दांत:
कलौंजी का तेल और लौंग का तेल 1-1 बूंद मिलाकर दांत व मसूढ़ों पर लगाने से दर्द ठीक होता है। आग में सेंधानमक जलाकर बारीक पीस लें और इसमें 2-4 बूंदे कलौंजी का तेल डालकर दांत साफ करें। इससे साफ व स्वस्थ रहते हैं।
दांतों में कीड़े लगना व खोखलापन: रात को सोते समय कलौंजी के तेल में रुई को भिगोकर खोखले दांतों में रखने से कीड़े नष्ट होते हैं।
33/. नींद:
रात में सोने से पहले आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से नींद अच्छी आती है।
34/. मासिकधर्म:
कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से मासिकधर्म शुरू होता है। इससे गर्भपात होने की संभावना नहीं रहती है।
जिन माताओं बहनों को मासिकधर्म कष्ट से आता है उनके लिए कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मासिकस्राव का कष्ट दूर होता है और बंद मासिकस्राव शुरू हो जाता है।
कलौंजी का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर चाटने से ऋतुस्राव की पीड़ा नष्ट होती है।
मासिकधर्म की अनियमितता में लगभग आधा से डेढ़ ग्राम की मात्रा में कलौंजी के चूर्ण का सेवन करने से मासिकधर्म नियमित समय पर आने लगता है।
यदि मासिकस्राव बंद हो गया हो और पेट में दर्द रहता हो तो एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीना चाहिए। इससे बंद मासिकस्राव शुरू हो जाता है।
कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन 2-3 बार सेवन करने से मासिकस्राव शुरू होता है।
35/. गर्भवती महिलाओं को वर्जित:
*गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं कराना चाहिए क्योंकि इससे गर्भपात हो सकता है।*
36/. स्तनों का आकार:
कलौंजी आधे से एक ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से स्तनों का आकार बढ़ता है और स्तन सुडौल बनता है।
37/. स्तनों में दूध:
कलौंजी को आधे से 1 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से स्तनों में दूध बढ़ता है।
38/. स्त्रियों के चेहरे व हाथ-पैरों की सूजन:
कलौंजी पीसकर लेप करने से हाथ पैरों की सूजन दूर होती है।
39/. बाल लम्बे व घने:
50 ग्राम कलौंजी 1 लीटर पानी में उबाल लें और इस पानी से बालों को धोएं इससे बाल लम्बे व घने होते हैं।
40/. बेरी-बेरी रोग:
बेरी-बेरी रोग में कलौंजी को पीसकर हाथ-पैरों की सूजन पर लगाने से सूजन मिटती है।
41/. भूख का अधिक लगना:
50 ग्राम कलौंजी को सिरके में रात को भिगो दें और सूबह पीसकर शहद में मिलाकर 4-5 ग्राम की मात्रा सेवन करें। इससे भूख का अधिक लगना कम होता है।
42/. नपुंसकता:
कलौंजी का तेल और जैतून का तेल मिलाकर पीने से नपुंसकता दूर होती है।
43/. खाज-खुजली:
50 ग्राम कलौंजी के बीजों को पीस लें और इसमें 10 ग्राम बिल्व के पत्तों का रस व 10 ग्राम हल्दी मिलाकर लेप बना लें। यह लेप खाज-खुजली में प्रतिदिन लगाने से रोग ठीक होता है।
44/. नाड़ी का छूटना:
नाड़ी का छूटना के लिए आधे से 1 ग्राम कालौंजी को पीसकर रोगी को देने से शरीर का ठंडापन दूर होता है और नाड़ी की गति भी तेज होती है। इस रोग में आधे से 1 ग्राम कालौंजी हर 6 घंटे पर लें और ठीक होने पर इसका प्रयोग बंद कर दें। कलौंजी को पीसकर लेप करने से नाड़ी की जलन व सूजन दूर होती है।
45/. हिचकी:
एक ग्राम पिसी कलौंजी शहद में मिलाकर चाटने से हिचकी आनी बंद हो जाती है। तथा कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में मठ्ठे के साथ प्रतिदिन 3-4 बार सेवन से हिचकी दूर होती है। या फिर कलौंजी का चूर्ण 3 ग्राम मक्खन के साथ खाने से हिचकी दूर होती है। और यदि
3 ग्राम कलौंजी पीसकर दही के पानी में मिलाकर खाने से हिचकी ठीक होती है।
46/. स्मरण शक्ति:
लगभग 2 ग्राम की मात्रा में कलौंजी को पीसकर 2 ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
47/. पेट की गैस:
कलौंजी, जीरा और अजवाइन को बराबर मात्रा में पीसकर एक चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद लेने से पेट की गैस नष्ट होता है।
48/. पेशाब की जलन:
250 मिलीलीटर दूध में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से पेशाब की जलन दूर होती है।

Thursday, June 2, 2016

knowledge abut simple life

1. अगर किसी का अपहरण हो जाए और उसके हाथ बांध दिए जाएं तो मुंह पर चिपके टेप को निकालने के लिए उसे चाटना चाहिए। वह खुदबखुद गिर जाएगा।
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2. केले में मूड बदलने के गुण होते हैं। इससे चिड़चिड़ाहट, गुस्सा और अवसाद दूर होते हैं।
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3. सिरदर्द में नींबू के रस को माथे पर बाम की तरह लगाने से आराम होता है।
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4. रात्रि में शराब पीने के बाद सुबह होने वाले सिरदर्द से निजात पाने के लिए केला और दूध से बना मिल्कशेक बहुत फायदेमंद होता है।
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5. अगर आपके फोन में स्क्रेच आ गए हैं तो थोड़ा टूथपेस्ट लगा दीजिए ।
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6. औसतन हवाई यात्रा के टिकट यात्रा के दिन से 54 दिन पहले सबसे अधिक सस्ते होते हैं।
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7. हमेशा अपने जूतों के रंग से मिलते जुलते रंग के बेल्ट पहनने से आप फैशन का सबसे खास टिप्स
अपना लेते हैं।
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8. मैथ्स करते समय चॉकलेट खाने से आपकी मैथ्स हल करने की योग्यता बढ़ जाती है।
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9. अगर कपड़े सिकुडकर छोटे हो गए हैं तो उन्हें गर्म पानी और हेयर कंडीशनर के घोल में 5 मिनिट के लिए भिगो दीजिए। वे वापस अपने पुराने साइज में आ जाएंगे।

**आवला**

१) आवला व ध्रत्कुमारी का रस २-२ चम्मच पानी के साथ लें. 
२) मेथी के दाने एक चम्मच रात को पानी में भिगोकर रखें, सुबह सबेरे उठकर पानी पीकर दाना खा लें.
३) १ ककड़ी, १ टमाटर, १ करेला, ५ कोमल नीम के पत्ते, ५ सदाबहार के फूल का रस पियें.
आधा घंटे तक कुछ भी नहीं खाएं.
४) जामुन की गुठली का पावडर सुबह नाश्ते से पहले लें.
५) सुबह हर्बल टी या काली चाय (जिसमे दूध, नीबू या शक्कर न हो) पियें.
६ ) अमरुद के पत्ते रात को पानी में भिगोकर रखें, सुबह वो पानी खाली पेट पियें.
कुछ आयुर्वेदिक दवाइयां :-
मधुनाशिनी
२-२ गोली दिन में २ या ३ बार खाना खाने से पहले या खाने के बाद लें.
शिलाजीत
दिन में दो बार १-१ बूँद गर्म दूध में डालकर लें.
इन सबके साथ अपने गुस्से को काबू में रखें. तनाव व गुस्से से मधुमेह बढ़ता है. नींद भी पर्याप्त मात्रा में करें. यह सब योग से ही संभव हो सकता है.
नियमित रूप से योग करें जिसके द्वारा शरीर व मन पर काबू पाया जा सकता है.

**अदरक**

अदरक रूखा, तीखा, उष्ण-तीक्ष्ण होने के
कारण कफ
तथा वात का नाश करता है, पित्त को बढ़ाता है। इसका अधिक
सेवन रक्त की पुष्टि करता है। यह उत्तम आमपाचक
है।
भारतवासियों को यह सात्म्य होने के कारण भोजन में
रूचि बढ़ाने के लिए इसका सार्वजनिक उपयोग किया जाता है।
आम से उत्पन्न होने वाले अजीर्ण, अफरा, शूल,
उलटी आदि में तथा कफजन्य सर्दी-
खाँसी में अदरक बहुत
उपयोगी है।
सावधानीः रक्तपित्त, उच्च रक्तचाप, अल्सर, रक्तस्राव

कोढ़ में अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए। अदरक
साक्षात
अग्निरूप है। इसलिए इसे कभी फ्रिज में
नहीं रखना चाहिए
ऐसा करने से इसका अग्नितत्त्व नष्ट हो जाता है।
औषधि-प्रयोगः
उलटीः अदरक व प्याज का रस समान मात्रा में मिलाकर
3-3
घंटे के अंतर से 1-1 चम्मच लेने से अथवा अदरक के रस में
मिश्री में मिलाकर पीने से
उलटी होना व जौ मिचलाना बन्द
होता है।
हृदयरोगः अदरक के रस व पानी समभाग मिलाकर
पीने से
हृदयरोग में लाभ होता है।
मंदाग्निः अदरक के रस में नींबू व सेंधा नमक मिलाकर
सेवन
करने से जठराग्नि तीव्र होती है।
उदरशूलः 5 ग्राम अदरक, 5 ग्राम पुदीने के रस में थोड़ा-
सा सेंधा नमक डालक पीने से उदरशूल मिटता है।
शीतज्वरः अदरक व पुदीने का काढ़ा देने से
पसीना आकर ज्वर
उतर जाता है। शीतज्वर में लाभप्रद है।
पेट की गैसः आधा-चम्मच अदरक के रस में
हींग और
काला नमक मिलाकर खाने से गैस की तकलीफ
दूर होती है।
सर्दी-खाँसीः 20 ग्राम अदरक का रस 2
चम्मच शहद के
साथ सुबह शाम लें। वात-कफ प्रकृतिवाले के लिए अदरक व
पुदीना विशेष लाभदायक है।
खाँसी एवं श्वास के रोगः अदरक और
तुलसी के रस में शहद
मिलाकर लें।

Tuesday, May 31, 2016

**तुलसी को जल**

भगवान की पूजा-आराधना के बाद हम उनकी परिक्रमा करते हैं। सामान्यत: यह बात सभी जानते हैं कि आरती आदि के होने के बाद देवी-देवताओं की परिक्रमा की जाती है तुलसी को हमारे शास्त्रों के अनुसार देवी माना गया है। तुलसी को जल चढ़ाकर भी उसकी परिक्रमा कि जाती है। परंतु यह क्यों की जाती है और इसकी क्या वजह है?घर के आंगन में तुलसी का पौधा सिर्फ एक पौधा भर नहीं होता है। यह सुख, संपत्ति, ज्ञान, विवेक और स्वास्थ्य का उत्तम खजाना है। कहते हैं, जिस घर के आंगन में तुलसी निवास करती है, वहां सुख और स्वास्थ्य स्वत: ही चले आते हैं, आनंद और पुण्यफल की वर्षा होती है।
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तुलसी को जल चढ़ाना भी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। तुलसी का सामीप्य पाने हेतु उसके करीब जाना होता है तुलसी एक गुणकारी औषधीय पौधा है। उसकी पत्तियां अपने अंदर अनेक औषधीय गुणो को समेटे हुए है। जल चढ़ाने जब हम उसके करीब जाते हैं शास्त्रों के अनुसार तुलसी के पौधे के आसपास बहुत सारी सकारात्मक ऊर्जा अथवा दैवीय शक्ति आसपास सबसे अधिक एकत्र होती है। इसलिए तुलसी को जल चढ़ाने के बाद उसकी परिक्रमा की परंपरा बनाई गई है। जिससे भक्तों की सोच भी सकारात्मक बने और बुरे विचारों से वह मुक्त हो जाए। तुलसी की परिक्रमा करने से हमारे मन को अचानक ही शांति मिलती है और उन क्षणों में हमारे मन को भटकाने वाली सोच समाप्त हो जाती है, भगवान में मन लगता है।इसीलिए तुलसी को जल चढ़ाने कर परिक्रमा लगाने की परंपरा बनाई गई।

** सलाद**

आमतौर पर खाने के साथ सलाद खाना जहां एक परंपरा है, वहीं ऐसा माना जाता है कि इससे खाना जल्दी हजम होता है। लेकिन नये शोधों में यह पता चला है कि अधिक सलाद खाने से आप अपना वजन भी कम कर सकते हैं। यही वजह है कि आज की युवा पीढ़ी सलाद को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दे रही है।
यही नहीं, आपको ऐसे युवा भी मिल जाएंगे जो एक टाइम के खाने की जगह सलाद खाना पसंद करते हैं। वास्तव में इसके पीछे कारण यही है कि सलाद में विटामिन्स और तमाम ऐसे पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं, जो आपको ना सिर्फ सेहतमंद रखते हैं, बल्कि आपको अनेक बीमारियों से भी बचाते हैं। क्या हैं सलाद के फायदे और कैसे सलाद खाने से वजन कम किया जा सकता है, 🍃🌷🍃
आइये जानें-
1. सबसे पहले सलाद क्या है, यह जानना जरूरी है। सलाद में आप कई चीजों को शामिल कर सकते हैं, जैसे प्याज, हरीमिर्च, अदरक, टमाटर, बंद गोभी, खीरा, नींबू, मूली, गाजर, अंकुरित मोंठ, चने आदि।
2. कुछ लोग सलाद के रूप में फलों को खाना पसंद करते हैं, जिनमें कम फैट होता है। जैसे अमरूद, सेब, संतरा, मौसमी आदि।
3. बहुत से लोग होते हैं, जो तेजी से अपना वजन कम करना चाहते हैं। डाक्टर भी उन्हें सलाद खाने की सलाह देते हैं।
4. सलाद के जरिये अपना वजन कम करने के भी कई तरीके सुझाए गये हैं। पहली बात तो यह ध्यान रखनी चाहिए कि रेस्तरां में या जंक या फास्ट फूड के साथ मिलने वाले सलाद पर भरोसा ना करे। इस सलाद में कैलोरीज ज्यादा होती हैं, जिससे वजन कम होने के बजाय बढ़ता है। यानी आप सलाद खाने के इच्छुक हैं तो कच्ची सब्जियां खाएं।
5. यदि आप प्रभावी रूप से सलाद के जरिये वजन कम करना चाहते हैं तो उसके भी कुछ नियम हैं, जैसे सलाद खाने से पहले अच्छी तरह धोएं और फोक को भी अच्छी तरह से धो लें। इससे ना केवल सलाद में आपको फ्लेवर मिलेगा बल्कि कैलोरीज भी कंट्रोल रहेंगी।

पानी पीना

1 .पसीने में पानी पीना, छाया में बैठकर अधिक हवा खाना, छाती व सिर में दर्द पैदा करते हैं।
2 .भोजन के दौरान थोड़ा-थोड़ा पानी पीना, भोजन के बाद ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए।
🍋3 .दिनभर बैठक का काम करने वाले व्यक्ति को प्रातः घूमना चाहिए।
🍋4 .जूठा पानी पीने से टीबी, खांसी व दमा आदि बीमारियां पैदा होती हैं।
5 .पेट में पानी हो तो दो गोले नारियल का पानी नित्य सेवन करें।
6 .महिलाओं को विशेषकर अंगूर सेवन ज्यादा करना चाहिए।
7 .दही में बेसन मिलाकर उबटन की तरह मलें, शरीर की बदबू रफूचक्कर हो जाएगी।
8 .सांस फूलने पर दही की कढ़ी में देसी घी डालकर कुछ दिन खाएं।
🍋🍋9 .लू से छुटकारा पाने के लिए मिश्री के शरबत में एक कागजी नीबू निचोड़कर पीएं।
10 .कांच या कंकर खाने में आने पर ईसबगोल भूसी गरम दूध के साथ तीन समय सेवन करें।
11 .घाव न पके, इसलिए गरम मलाई (जितनी गरम सहन कर सकें) बांधें।

Monday, May 30, 2016

हींग के हैं ये 12 फायदे बीमारी को रखे दूर

हींग कई बीमारियों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। हम आपको हींग के औषधीय गुणों की जानकारी देते हैं। हींग के लाभ ==================================
1 : दांतों की समस्या के लिए हींग बहुत फायदेमंद है। दांतों में कीड़ा लग जाने पर रात में सोते वक्त दांतों में हींग दबाकर सोएं। ऐसा करने से कीड़े अपने-आप निकल जाएंगे। ==================================
2 : दाद, खाज, खुजली जैसे चर्म रोगों में हींग बहुत फायदेमंद है। चर्म रोग होने पर हींग को पानी में घिसकर उन स्थानों पर लगाने से फायदा होता है।
3 : बवासीर की समस्या होने पर हींग का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। बवासीर होने पर हींग का लेप लगाने से आराम मिलता है। ==================================
4 : कब्ज की शिकायत होने पर हींग के चूर्ण में थोडा-सा मीठा सोडा मिलाकर रात में सोने से पहले लीजिए। इससे पेट साफ हो जाएगा और कब्ज की शिकायत समाप्त होगी।
5 : पेट में दर्द व ऐंठन होने पर अजवाइन और नमक के साथ हींग का सेवन करने से फायदा होता है। ==================================
6 : पेट में कीड़े हो जाने पर हींग को पानी में घोलकर एनीमा लेने से पेट के कीड़े शीघ्र निकल आते हैं।
7 : अगर किसी खुले जख्म पर कीड़े पड़ गए हों, तो उस जगह पर हींग का चूर्ण लगाने से कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
8 : खाने से पहले घी में भुनी हुई हींग एवं अदरक का एक टुकड़ा मक्खन के साथ में लेने से भूख ज्यादा लगती है। ==================================
9 : पीलिया होने पर हींग को गूलर के सूखे फलों के साथ खाना चाहिए। पीलिया होने पर हींग को पानी में घिसकर आंखों पर लगाने से फायदा होता है।
10 : कान में दर्द होने पर तिल के तेल में हींग को पकाकर उस तेल की बूंदों को कान में डालने से दर्द समाप्त हो जाता है।
11 : उल्टी आने पर हींग को पानी में पीसकर पेट पर लगाने से फायदा होता है। ==================================
12 : सिरदर्द होने पर हींग को गर्म करके उसका लेप लगाने से फायदा होता है। ईरानी मूल की मानी जाने वाली हींग खांसी, सूखी खांसी, इन्फ्लुएंजा, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी बीमारियों को दूर करने में भी काफी मददगार है। दाल, सांभर व अन्य किसी रसदार सब्जी में हींग का इस्तेमाल किया जाता है। घी के साथ सेवन करें : देसी घी में हींग के पाउडर को भून लें। इससे खांसी और सांस से जुड़ी समस्याओं से राहत मिलती है। हींग और शहद : थोड़ी-सी हींग में एक चम्मच शहद और आधा चम्मच सफेद प्याज का रस मिला लें। साथ ही, इसमें आधा चम्मच सुपारी का रस और सूखी अदरक मिला लें। सांस से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए रोज इस मिश्रण का थोड़ी मात्रा में सेवन करें। गर्म पानी के साथ हींग : गर्म पानी में एक चुटकी हींग डाल लें। इस मिश्रण को पीने से गंभीर ब्रोंकाइटिस में राहत मिलती है। यह उपाय करने में आसान है। लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि हींग की तासीर गर्म होती है, इसलिए इसका ज़्यादा सेवन न करें

हमेशा काम आने वाले नुस्खे

हमारे जीवन में रोगों का जीवन में प्रभाव पड़ता ही रहता है -हम छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज स्वयं कर सकते है "उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग " आपके लिए लाया है आपके लिए साधारण छोटे-छोटे प्रयोग जिनको आप अवस्य अपनाए कुछ प्रयोग नीचे दिए जा रहे है जो आपको घर में ही उपलब्ध है अजमाए और लाभ ले -
दमे के लिये तुलसी और वासा:-
दमे के रोगियों को तुलसी की १० पत्तियों के साथ वासा (अडूसा या वासक) का २५० मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर दें। लगभग २१ दिनों तक सुबह यह काढ़ा पीने से आराम आ जाता है-
मौसमी खाँसी के लिये सेंधा नमक:-
सेंधा नमक की लगभग एक सौ ग्राम डली को चिमटे से पकड़कर आग पर, गैस पर या तवे पर अच्छी तरह गर्म कर लें। जब लाल होने लगे तब गर्म डली को तुरंत आधा कप पानी में डुबोकर निकाल लें और नमकीन गर्म पानी को एक ही बार में पी जाएँ। ऐसा नमकीन पानी सोते समय लगातार दो-तीन दिन पीने से खाँसी, विशेषकर बलगमी खाँसी से आराम मिलता है। नमक की डली को सुखाकर रख लें एक ही डली का बार बार प्रयोग किया जा सकता है-
बैठे हुए गले के लिये मुलेठी का चूर्ण:-
मुलेठी के चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर खाने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है। या सोते समय एक ग्राम मुलेठी के चूर्ण को मुख में रखकर कुछ देर चबाते रहे। फिर वैसे ही मुँह में रखकर जाएँ। प्रातः काल तक गला साफ हो जायेगा। गले के दर्द और सूजन में भी आराम आ जाता है-
मुँह और गले के कष्टों के लिये सौंफ और मिश्री:-
भोजन के बाद दोनों समय आधा चम्मच सौंफ चबाने से मुख की अनेक बीमारियाँ और सूखी खाँसी दूर होती है, बैठी हुई आवाज़ खुल जाती है, गले की खुश्की ठीक होती है और आवाज मधुर हो जाती है-
खराश या सूखी खाँसी के लिये अदरक और गुड़:-
गले में खराश या सूखी खाँसी होने पर पिसी हुई अदरक में गुड़ और घी मिलाकर खाएँ। गुड़ और घी के स्थान पर शहद का प्रयोग भी किया जा सकता है। आराम मिलेगा-
पेट में कीड़ों के लिये अजवायन और नमक:-
आधा ग्राम अजवायन चूर्ण में स्वादानुसार काला नमक मिलाकर रात्रि के समय रोजाना गर्म जल से देने से बच्चों के पेट के कीडे नष्ट होते हैं। बडों के लिये- चार भाग अजवायन के चूर्ण में एक भाग काला नमक मिलाना चाहिये और दो ग्राम की मात्रा में सोने से पहले गर्म पानी के साथ लेना चाहिये-
अरुचि के लिये मुनक्का हरड़ और चीनी:-
भूख न लगती हो तो बराबर मात्रा में मुनक्का (बीज निकाल दें), हरड़ और चीनी को पीसकर चटनी बना लें। इसे पाँच छह ग्राम की मात्रा में (एक छोटा चम्मच), थोड़ा शहद मिला कर खाने से पहले दिन में दो बार चाटें-
बदन के दर्द में कपूर और सरसों का तेल:-
10 ग्राम कपूर, 200 ग्राम सरसों का तेल - दोनों को शीशी में भरकर मजबूत ठक्कन लगा दें तथा शीशी धूप में रख दें। जब दोनों वस्तुएँ मिलकर एक रस होकर घुल जाए तब इस तेल की मालिश से नसों का दर्द, पीठ और कमर का दर्द और, माँसपेशियों के दर्द शीघ्र ही ठीक हो जाते हैं-
जोड़ों के दर्द के लिये बथुए का रस:-
बथुआ के ताजा पत्तों का रस पन्द्रह ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है। इस रस में नमक-चीनी आदि कुछ न मिलाएँ। नित्य प्रातः खाली पेट लें या फिर शाम चार बजे। इसके लेने के आगे पीछे दो-दो घंटे कुछ न लें। दो तीन माह तक लें-
पेट में वायु-गैस के लिये मट्ठा और अजवायन:-
पेट में वायु बनने की अवस्था में भोजन के बाद 125 ग्राम दही के मट्ठे में दो ग्राम अजवायन और आधा ग्राम काला नमक मिलाकर खाने से वायु-गैस मिटती है। एक से दो सप्ताह तक आवश्यकतानुसार दिन के भोजन के पश्चात लें-
फटे हाथ पैरों के लिये सरसों या जैतून का तेल:-
नाभि में प्रतिदिन सरसों का तेल लगाने से होंठ नहीं फटते और फटे हुए होंठ मुलायम और सुन्दर हो जाते है। साथ ही नेत्रों की खुजली और खुश्की दूर हो जाती है-
सर्दी बुखार और साँस के पुराने रोगों के लिये तुलसी:-
तुलसी की 21 पत्तियाँ स्वच्छ खरल या सिलबट्टे (जिस पर मसाला न पीसा गया हो) पर चटनी की भाँति पीस लें और 10 से 30 ग्राम मीठे दही में मिलाकर नित्य प्रातः खाली पेट तीन मास तक खाएँ। दही खट्टा न हो। यदि दही माफिक न आये तो एक-दो चम्मच शहद मिलाकर लें। छोटे बच्चों को आधा ग्राम तुलसी की चटनी शहद में मिलाकर दें। दूध के साथ भूलकर भी न दें। औषधि प्रातः खाली पेट लें। आधा एक घंटे पश्चात नाश्ता ले सकते हैं-
अधिक क्रोध के लिये आँवले का मुरब्बा और गुलकंद:-
बहुत क्रोध आता हो तो सुबह आँवले का मुरब्बा एक नग प्रतिदिन खाएँ और शाम को गुलकंद एक चम्मच खाकर ऊपर से दूध पी लें। क्रोध आना शांत हो जाएगा-
घुटनों में दर्द के लिये अखरोट:-
सवेरे खाली पेट तीन या चार अखरोट की गिरियाँ खाने से घुटनों का दर्द मैं आराम हो जाता है-
काले धब्बों के लिये नीबू और नारियल का तेल:-
चेहरे व कोहनी पर काले धब्बे दूर करने के लिये आधा चम्मच नारियल के तेल में आधे नीबू का रस निचोड़ें और त्वचा पर रगड़ें, फिर गुनगुने पानी से धो लें-
कोलेस्ट्राल पर नियंत्रण सुपारी से:-
भोजन के बाद कच्ची सुपारी 20 से 40 मिनट तक चबाएँ फिर मुँह साफ़ कर लें। सुपारी का रस लार के साथ मिलकर रक्त को पतला करने जैसा काम करता है। जिससे कोलेस्ट्राल में गिरावट आती है और रक्तचाप भी कम हो जाता है-
मसूढ़ों की सूजन के लिये अजवायन:-
मसूढ़ों में सूजन होने पर अजवाइन के तेल की कुछ बूँदें पानी में मिलाकर कुल्ला करने से सूजन में आराम आ जाता है-
हृदय रोग में आँवले का मुरब्बा:-
आँवले का मुरब्बा दिन में तीन बार सेवन करने से यह दिल की कमजोरी, धड़कन का असामान्य होना तथा दिल के रोग में अत्यंत लाभ होता है, साथ ही पित्त, ज्वर, उल्टी, जलन आदि में भी आराम मिलता है-
शारीरिक दुर्बलता के लिये दूध और दालचीनी:-
दो ग्राम दालचीनी का चूर्ण सुबह शाम दूध के साथ लेने से शारीरिक दुर्बलता दूर होती है और शरीर स्वस्थ हो जाता है। दो ग्राम दालचीनी के स्थान पर एक ग्राम जायफल का चूर्ण भी लिया जा सकता है-
हकलाना या तुतलाना दूर करने के लिये दूध और काली मिर्च:-
हकलाना या तुतलाना दूर करने के लिये 10 ग्राम दूध में 250 ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर रख लें। 2-2 ग्राम चूर्ण दिन में दो बार मक्खन के साथ मिलाकर खाएँ-
श्वास रोगों के लिये दूध और पीपल:-
एक पाव दूध में 5 पीपल डालकर गर्म करें, इसमें चीनी डालकर सुबह और ‘शाम पीने से साँस की नली के रोग जैसे खाँसी, जुकाम, दमा, फेफड़े की कमजोरी तथा वीर्य की कमी आदि रोग दूर होते हैं-
अच्छी नींद के लिये मलाई और गुड़:-
रात में नींद न आती हो तो मलाई में गुड़ मिलाकर खाएँ और पानी पी लें। थोड़ी देर में नींद आ जाएगी-
कमजोरी को दूर करने का सरल उपाय:-
एक-एक चम्मच अदरक व आंवले के रस को दो कप पानी में उबाल कर छान लें। इसे दिन में तीन बार पियें। स्वाद के लिये काला नमक या शहद मिलाएँ-
घमौरियों के लिये मुल्तानी मिट्टी:-
घमौरियों पर मुल्तानी मिट्टी में पानी मिलाकर लगाने से रात भर में आराम आ जाता है-
पेट के रोग दूर करने के लिये मट्ठा:-
मट्ठे में काला नमक और भुना जीरा मिलाएँ और हींग का तड़का लगा दें। ऐसा मट्ठा पीने से हर प्रकार के पेट के रोग में लाभ मिलता है। यह बासी या खट्टा नहीं होना चाहिये-
खुजली की घरेलू दवा:-
फटकरी के पानी से खुजली की जगह धोकर साफ करें, उस पर कपूर को नारियल के तेल मिलाकर लगाएँ लाभ होगा-
मुहाँसों के लिये संतरे के छिलके:-
संतरे के छिलके को पीसकर मुहाँसों पर लगाने से वे जल्दी ठीक हो जाते हैं। नियमित रूप से ५ मिनट तक रोज संतरों के छिलके का पिसा हुआ मिश्रण चेहरे पर लगाने से मुहाँसों के धब्बे दूर होकर रंग में निखार आ जाता है-
बंद नाक खोलने के लिये अजवायन की भाप:-
एक चम्मच अजवायन पीस कर गरम पानी के साथ उबालें और उसकी भाप में साँस लें। कुछ ही मिनटों में आराम मालूम होगा-
चर्मरोग के लिये टेसू और नीबू:-
टेसू के फूल को सुखाकर चूर्ण बना लें। इसे नीबू के रस में मिलाकर लगाने से हर प्रकार के चर्मरोग में लाभ होता है-
माइग्रेन के लिये काली मिर्च, हल्दी और दूध:-
एक बड़ा चम्मच काली मिर्च का चूर्ण एक चुटकी हल्दी के साथ एक प्याले दूध में उबालें। दो तीन दिन तक लगातार रहें। माइग्रेन के दर्द में आराम मिलेगा-
गले में खराश के लिये जीरा:-
एक गिलास उबलते पानी में एक चम्मच जीरा और एक टुकड़ा अदरक डालें ५ मिनट तक उबलने दें। इसे ठंडा होने दें। हल्का गुनगुना दिन में दो बार पियें। गले की खराश और सर्दी दोनों में लाभ होगा-
सर्दी जुकाम के लिये दालचीनी और शहद:-
एक ग्राम पिसी दालचीनी में एक चाय का चम्मच शहद मिलाकर खाने से सर्दी जुकाम में आराम मिलता है-
टांसिल्स के लिये हल्दी और दूध:-
एक प्याला (200 मिलीली.) दूध में आधा छोटा चम्मच (2 ग्राम) पिसी हल्दी मिलाकर उबालें। छानकर चीनी मिलाकर पीने को दें। विशेषरूप से सोते समय पीने पर तीन चार दिन में आराम मिल जाता है। रात में इसे पीने के बात मुँह साफ करना चाहिये लेकिन कुछ खाना पीना नहीं चाहिये-
ल्यूकोरिया से मुक्ति:-
ल्यूकोरिया नामक रोग कमजोरी, चिडचिडापन, के साथ चेहरे की चमक उड़ा ले जाता हैं। इससे बचने का एक आसान सा उपाय- एक-एक पका केला सुबह और शाम को पूरे एक छोटे चम्मच देशी घी के साथ खा जाएँ 11-12 दिनों में आराम दिखाई देगा। इस प्रयोग को 21 दिनों तक जारी रखना चाहिए-
मधुमेह के लिये आँवला और करेला:-
एक प्याला करेले के रस में एक बड़ा चम्मच आँवले का रस मिलाकर रोज पीने से दो महीने में मधुमेह के कष्टों से आराम मिल जाता है-
मधुमेह के लिये कालीचाय:-
मधुमेह में सुबह खाली पेट एक प्याला काली चाय स्वास्थ्यवर्धक होती है। चाय में चीनी दूध या नीबू नहीं मिलाना चाहिये। यह गुर्दे की कार्यप्रणाली को लाभ पहुँचाती है जिससे मधुमेह में भी लाभ पहुँचता है-
उच्च रक्तचाप के लिये मेथी:-
सुबह उठकर खाली पेट आठ-दस मेथी के दाने निगल लेने से उच्चरक्त चाप को नियंत्रित करने में सफलता मिलती है-
माइग्रेन और सिरदर्द के लिये सेब:-
सिरदर्द और माइग्रेन से परेशान हों तो सुबह खाली पेट एक सेब नमक लगाकर खाएँ इससे आराम आ जाएगा-
अपच के लिये चटनी:-
खट्टी डकारें, गैस बनना, पेट फूलना, भूक न लगना इनमें से किसी चीज से परेशान हैं तो सिरके में प्याज और अदरक पीस कर चटनी बनाएँ इस चटनी में काला नमक डालें। एक सप्ताह तक प्रतिदिन भोजन के साथ लें, आराम आ जाएगा-
मुहाँसों से मुक्ति:-
जायफल, काली मिर्च और लाल चन्दन तीनो का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। रोज सोने से पहले 2-3 चुटकी भर के पावडर हथेली पर लेकर उसमें इतना पानी मिलाए कि उबटन जैसा बन जाए खूब मिलाएँ और फिर उसे चेहरे पर लगा लें और सो जाएँ, सुबह उठकर सादे पानी से चेहरा धो लें। 15 दिन तक यह काम करें। इसी के साथ प्रतिदिन 250 ग्राम मूली खाएँ ताकि रक्त शुद्ध हो जाए और अन्दर से त्वचा को स्वस्थ पोषण मिले। 15-20 दिन में मुहाँसों से मुक्त होकर त्वचा निखर जाएगी-
जलन की चिकित्सा चावल से:-
कच्चे चावल के 8-10 दाने सुबह खाली पेट पानी से निगल लें। 21 दिन तक नियमित ऐसा करने से पेट और सीन की जलन में आराम आएगा। तीन माह में यह पूरी तरह ठीक हो जाएगी-
दाँतों के कष्ट में तिल का उपयोग:-
तिल को पानी में 4 घंटे भिगो दें फिर छान कर उसी पानी से मुँह को भरें और 10 मिनट बाद उगल दें। चार पाँच बार इसी तरह कुल्ला करे, मुँह के घाव, दाँत में सड़न के कारण होने वाले संक्रमण और पायरिया से मुक्ति मिलती है-
विष से मुक्ति:-
10-10 ग्राम हल्दी, सेंधा नमक और शहद तथा 5 ग्राम देसी घी अच्छी तरह मिला लें। इसे खाने से कुत्ते, साँप, बिच्छु, मेढक, गिरगिट, आदि जहरीले जानवरों का विष उतर जाता है-
खाँसी में प्याज:-
अगर बच्चों या बुजुर्गों को खांसी के साथ कफ ज्यादा गिर रहा हो तो एक चम्मच प्याज के रस को चीनी या गुड मिलाकर चटा दें, दिन में तीन चार बार ऐसा करने पर खाँसी से तुरंत आराम मिलता है-
स्वस्थ त्वचा का घरेलू नुस्खा :-
नमक, हल्दी और मेथी तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें, नहाने से पाँच मिनट पहले पानी मिलाकर इनका उबटन बना लें। इसे साबुन की तरह पूरे शरीर में लगाएँ और 5 मिनट बाद नहा लें। सप्ताह में एक बार प्रयोग करने से घमौरियों, फुंसियों तथा त्वचा की सभी बीमारियों से मुक्ति मिलती है। साथ ही त्वचा मुलायम और चमकदार भी हो जाती है-
पेट साफ रखे अमरूद:-
कब्ज से परेशान हों तो शाम को चार बजे कम से कम 200 ग्राम अमरुद नमक लगाकर खा जाएँ, फायदा अगली सुबह से ही नज़र आने लगेगा। 10 दिन लगातार खाने से पुराने कब्ज में लाभ होगा। बाद में जब आवश्यकता महसूस हो तब खाएँ-
बीज पपीते के स्वास्थ्य हमारा:-
पके पपीते के बीजों को खूब चबा-चबा कर खाने से आँखों की रोशनी बढ़ती है। इन बीजों को सुखा कर पावडर बना कर भी रखा जा सकता है। सप्ताह में एक बार एक चम्मच पावडर पानी से फाँक लेन पर अनेक प्रकार के रोगाणुओं से रक्षा होती है-
मुलेठी पेप्टिक अलसर के लिये:-
मुलेठी के बारे में तो सभी जानते हैं। यह आसानी से बाजार में भी मिल जाती है। पेप्टिक अल्सर में मुलेठी का चूर्ण अमृत की तरह काम करता है। बस सुबह शाम आधा चाय का चम्मच पानी से निगल जाएँ। यह मुलेठी का चूर्ण आँखों की शक्ति भी बढ़ाता है। आँखों के लिये इसे सुबह आधे चम्मच से थोड़ा सा अधिक पानी के साथ लेना चाहिये-
सरसों का तेल केवल पाँच दिन:-
रात में सोते समय दोनों नाक में दो दो बूँद सरसों का तेल पाँच दिनों तक लगातार डालें तो खाँसी-सर्दी और साँस की बीमारियाँ दूर हो जाएँगी। सर्दियों में नाक बंद हो जाने के दुख से मुक्ति मिलेगी और शरीर में हल्कापन मालूम होगा-
भोजन से पहले अदरक:-
भोजन करने से दस मिनट पहले अदरक के छोटे से टुकडे को सेंधा नमक में लपेट कर [थोड़ा ज्यादा मात्रा में ] अच्छी तरह से चबा लें। दिन में दो बार इसे अपने भोजन का आवश्यक अंग बना लें, इससे हृदय मजबूत और स्वस्थ बना रहेगा, दिल से सम्बंधित कोई बीमारी नहीं होगी और निराशा व अवसाद से भी मुक्ति मिल जाएगी-
अजवायन का साप्ताहिक प्रयोग:-
सुबह खाली पेट सप्ताह में एक बार एक चाय का चम्मच अजवायन मुँह में रखें और पानी से निगल लें। चबाएँ नहीं। यह सर्दी, खाँसी, जुकाम, बदनदर्द, कमर-दर्द, पेटदर्द, कब्जियत और घुटनों के दर्द से दूर रखेगा। 10 साल से नीचे के बच्चों को आधा चम्मच 2 ग्राम और 10 से ऊपर सभी को एक चम्मच यानी 5 ग्राम लेना चाहिए-